Thursday, 6 September 2018

ಅಧ್ಯಾಯ - 03 : ಶ್ಲೋಕ – 14

ಅನ್ನಾದ್ ಭವಂತಿ ಭೂತಾನಿ ಪರ್ಜನ್ಯಾದನ್ನಸಂಭವಃ ।ಯಜ್ಞಾದ್ ಭವತಿ ಪರ್ಜನ್ಯೋ ಯಜ್ಞಃ ಕರ್ಮಸಮುದ್ಭವಃ ॥೧೪॥

ಅನ್ನಾತ್  ಭವಂತಿ ಭೂತಾನಿ ಪರ್ಜನ್ಯಾತ್ ಅನ್ನ ಸಂಭವಃ
ಯಜ್ಞಾತ್  ಭವತಿ ಪರ್ಜನ್ಯಃ  ಯಜ್ಞಃ  ಕರ್ಮ ಸಮುದ್ಭವಃ -

ಜೀವಿಗಳ ಹುಟ್ಟು  ಆಹಾರದಿಂದ;  ಆಹಾರದ ಬೆಳೆ ಸೂರ್ಯನಿಂದ[ಮೋಡದಿಂದ]. ಸೌರಶಕ್ತಿಯ ವೃದ್ಧಿ [ಮೋಡದ ಹುಟ್ಟು]-ಯಜ್ಞದಿಂದ; ಯಜ್ಞದ ನಿರ್ವಹಣೆ-ಕರ್ಮದಿಂದ.

ಕೃಪೆ:  ಪದ್ಮಶ್ರೀ  🙏 ಶ್ರೀ ಬನ್ನಂಜೆ ಗೋವಿಂದಾಚಾರ್ಯರು🙏

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः॥
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्‌।
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्‌॥

सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। कर्मसमुदाय को तू वेद से उत्पन्न और वेद को अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ जान। इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है
॥14-15॥

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः॥
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्‌।
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्‌॥

सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। कर्मसमुदाय को तू वेद से उत्पन्न और वेद को अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ जान। इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है
॥14-15॥

Annaad bhavanti bhootaani parjanyaad anna sambhavah;
Yajnaad bhavati parjanyo yajnah karma samudbhavah.

From food come forth beings, and from rain food is produced;
from sacrifice arises rain,and sacrifice is born of action.

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